
माँ
भाग – II मैं उसे नहीं जानतीफिर भी ऐसा हैकि मैं उसे ही जानतीकिसी और को नहीं जानती एक नन्हीं बच्ची या बच्चा जब जन्म लेता है तो उसके लिए …
माँ Read Moreभाग – II मैं उसे नहीं जानतीफिर भी ऐसा हैकि मैं उसे ही जानतीकिसी और को नहीं जानती एक नन्हीं बच्ची या बच्चा जब जन्म लेता है तो उसके लिए …
माँ Read Moreभाग – 1 माँ एक ऐसा शब्द है जिसमें संसार की सारी शक्तियाँ समाहित हैं। आम तौर पर ऐसा कहा जाता है। अगर कहा जाता है तो ज़रूर इसके अपने …
माँ Read Moreजीवन-मरण, ज्ञात-अज्ञात की प्रार्थना का कवि ‘तुम सुबह की पहली किरण/मैं नम दूब पर ओस का कण/मिलन पर सुनश्चित है/मेरा तिरोहित हो जाना/ फिर भी मिलन की इतनी आस क्यों …
शीतल जल कब इस ज्वाला को बुझायेगा… Read More