शीतल जल कब इस ज्वाला को बुझायेगा…

जीवन-मरण, ज्ञात-अज्ञात की प्रार्थना का कवि ‘तुम सुबह की पहली किरण/मैं नम दूब पर ओस का कण/मिलन पर सुनश्चित है/मेरा तिरोहित हो जाना/ फिर भी मिलन की इतनी आस क्यों …

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मैं सीर्फ एक नहीं हूँ

‘मैं’,मैं सिर्फ ‘एक’ नहीं हूँ,मेरी संख्या ‘करडो’ में हैं!और, आप…..आपकी संख्या सिर्फ “543”;गिनना शुरू करो तो, ऊंगलियों पे खतम!😊आपका ‘आसान’ हो या ‘आस्थान’ कितना भी ऊंचा हो…..आपको लौटना है मेरे …

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