‘मैं’,
मैं सिर्फ ‘एक’ नहीं हूँ,
मेरी संख्या ‘करडो’ में हैं!
और, आप…..
आपकी संख्या सिर्फ “543”;
गिनना शुरू करो तो, ऊंगलियों पे खतम!😊
आपका ‘आसान’ हो या ‘आस्थान’ कितना भी ऊंचा हो…..
आपको लौटना है मेरे पास -
हर पांच साल में!!!
आप कितनी भी ऊंची उडान भर लो….
मेरे हौसले और सवालों की आवाज़-
आएगी,
परेशान करेगी,
झन्झोड देगी,
मजबूर करेगी……!!
मैं,
मैं सिर्फ ‘एक’ नहीं,
मेरी संख्या ‘करोड़ों’ में है,
मैं इस देश की जनता हूँ….
और, आप-
आपकी सिर्फ ‘543’…..
इसलिए सवाल उठेंगे -
सवाल पुछेजाएंगे!!
One Comment on “मैं सीर्फ एक नहीं हूँ”
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nice poem. thoda sa typo- error hai sayad. aapka aasaan ke badle aasan hoga sayad. dekhenge jaraa. aur 543 ke badle agar shabd me likhaa jae to sundar lagegi.
kabi Ipsita ko khub saaraa pyar aur shubhkaamanaaen.